नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) : अफगानिस्तान में अनिश्चितता की स्थिति को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि भारत में रहने वाले किसी भी अफगान नागरिक को गृह मंत्रालय की अनुमति के बगैर देश छोड़ने के लिए नहीं कहा जाएगा। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
गृह मंत्रालय का निर्णय अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के करीब एक पखवाड़े बाद आया है। भारत में आने वाले कई अफगान नागरिकों को अपने देश के नए शासकों से भय है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्रालय की पूर्व अनुमति के बगैर विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) द्वारा किसी भी अफगान नागरिक को भारत छोड़ने के लिए नहीं कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले एफआरआरओ गृह मंत्रालय के पास भेजेगा।
अफगानिस्तान के संसद की महिला सदस्य रंगीना कारगर को वैध दस्तावेजों के बावजूद दिल्ली के आईजीआई हवाई अड्डे से इस्तांबुल भेज दिए जाने के बाद यह आदेश आया है। सरकार ने अफगानिस्तान सहित सभी देशों के भारत में रह रहे नागरिकों का वीजा ‘‘नि:शुल्क आधार’’ पर 30 सितंबर तक बढ़ा दिया है।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा से पहले कई अफगान नागरिक भारत में छह महीने से ज्यादा समय और कई नागरिक मार्च 2020 में पहले लॉकडाउन की घोषणा के समय से ही रह रहे हैं।
एमएचए ने कोविड-19 के कारण देश में फंसे विदेशी नागरिकों का नियमित वीजा या ई-वीजा या ठहरने की अवधि को बिना जुर्माना लगाए 30 सितंबर तक बढ़ाने का निर्णय किया है।
इस तरह के विदेशी नागरिकों को एफआरआरओ को वीजा विस्तार के लिए आवेदन देने की जरूरत नहीं होगी। देश छोड़ने से पहले उन्हें बाहर जाने की अनुमति के लिए आवेदन देना पड़ सकता है जिसे एफआरआरओ बिना जुर्माने के मंजूरी देगा। कई अफगान नागरिकों को तालिबान से खतरे की आशंका है और उन्होंने भारत में ठहरने की इच्छा जताई है।
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