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तालिबान के कब्जे के बाद भारत में रह रहे अफगान शरणार्थियों के बच्चों को ‘भविष्य अंधकारमय’ दिख रहा


शुक्र, 27 अगस्त 2021   |   2 मिनट में पढ़ें

नयी दिल्ली, 26 अगस्त (भाषा) भारत में रह रहे अफगान शरणार्थी पिछले चार दिनों से दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें दो बहनें दीया और दियाना सबसे आगे रही हैं, एक अफगान राष्ट्रीय ध्वज लपेटे हुई थी, जबकि दूसरी ने एक तख्ती ले रखी थी, जिसमें संयुक्त राष्ट्र से अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने की अपील की गई थी।

दक्षिण दिल्ली में एक अफगान एन्क्लेव में रहने वाली दीया (10) और दियाना (12) की उम्र पढ़ने और खेलने की है, लेकिन इस कम उम्र में, ये दोनों बहनें प्रदर्शन के पहले दिन बहादुरी दिखाते हुए इस गर्मी में बाहर निकलीं और अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां बच्चों, विशेषकर लड़कियों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की।

बड़ी बहन ने कहा, ‘हम डरे हुए हैं। भले ही हम पैदा नहीं हुए थे, लेकिन हम जानते हैं कि तालिबान क्या है, जब उन्होंने पहली बार हमारी मातृभूमि पर कब्जा किया था। और हम जानते हैं कि बच्चे और महिलाएं अभी हमारे देश में कितना असुरक्षित महसूस कर रही हैं।’

दक्षिण दिल्ली के वसंत विहार में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के सामने आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए दोनों बहनें अपने माता-पिता के साथ गई थीं।

23 अगस्त को शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन बृहस्पतिवार को भी जारी रहा क्योंकि शरणार्थियों ने अपनी मांगों के पूरा होने तक अपनी जगह से हटने से इनकार कर दिया।

उनकी मांगों में अन्य देशों में प्रवास और भारत में बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी द्वारा समर्थन पत्र जारी किया जाना शामिल है। 23 अगस्त को जब विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, तो बच्चों सहित बड़ी संख्या में अफगान शरणार्थी वहां जमा हुए थे। भोगल से अपने परिवार के साथ आई दो वर्षीय निहंज ने अपनी मां के साथ प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

प्रदर्शन में महिलाओं और युवतियों की भागीदारी ने उनकी दुर्दशा और वर्तमान परिस्थितियों के प्रति उनकी संवेदनशीलता पर ध्यान खींचा।

जुलेखा खादरखिल (10) एक पोस्टर पकड़े हुए अपने आठ वर्षीय भाई मोहम्मद रमीन के बगल में चुपचाप बैठी थी, जिसने तालिबान के खिलाफ जोरदार नारे लगाए।

जुलेखा ने चिंता जाहिर करते हुए कहा, ‘हमारे अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ है उसके बाद शरणार्थियों के तौर पर हम असुरक्षित महसूस करते हैं, बच्चों के रूप में हम असुरक्षित महसूस करते हैं, लड़कियों के रूप में हम असुरक्षित महसूस करते हैं। मुझे अफगानिस्तान की युवा लड़कियों और महिलाओं को लेकर डर लग रहा है कि अब उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा।’

रमीन और जुलेखा अपने माता-पिता के साथ तिलक नगर से विरोध प्रदर्शन करने आए थे, जहां अफगानों का एक छोटा समुदाय रहता है।

विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व भारत में अफगान शरणार्थियों के एकछत्र संगठन, अफगान सॉलिडेरिटी कमेटी (एएससी) ने किया है।

भाषा कृष्ण

कृष्ण पवनेश

पवनेश




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POST COMMENTS (1)

बिपिन कुमार शर्मा

अगस्त 28, 2021
अफ़गानिस्तान में महिलाओं के साथ वही व्यवहार होगा जो कुरान यानी कि जन्नती किताब में लिखा है। *माले गनीमत।*

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