बुडापेस्ट, 29 सितंबर (एपी) : हंगरी द्वारा रूस से गैस खरीदने के लिए लंबे समय के करार पर हस्ताक्षर करने का फैसला लेने पर हंगरी और यूक्रेन के बीच कूटनीतिक खाई मंगलवार को और गहरी हो गई तथा दोनों देशों ने एक दूसरे के राजनयिकों को तलब किया।
यूक्रेन इस करार को अपने आर्थिक तथा राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर हमले के रूप में देखता है। हंगरी और रूसी गैस कंपनी गाजप्रोम के बीच 15 साल के समझौते पर सोमवार को हस्ताक्षर किया गया जिसके तहत प्रतिवर्ष चार अरब 50 करोड़ गहन मीटर रूसी गैस हंगरी तक बिछी पाइपलाइन के पहुंचेगी। यह लाइन यूक्रेन को ‘बाईपास’ कर के जाती है इसलिए उसे कोई ट्रांजिट फीस नहीं मिलेगी।
यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी किया और कहा कि हंगरी और रूस के बीच हुए समझौते से कीव स्तब्ध और निराश है। मंत्रालय ने इस कदम को शुद्ध रूप से राजनीतिक, आर्थिक रूप से अतार्किक निर्णय बताया है जो क्रेमिलन के हित को ध्यान में रख कर लिया गया। मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन इस करार के मुद्दे को यूरोपीय संघ के कार्यकारी आयोग के सामने उठाएगा और ईयू के ऊर्जा नियमों के तहत इसकी समीक्षा की मांग करेगा। उक्त करार शुक्रवार से प्रभावी होगा।
मंगलवार को हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सिजरतो ने फेसबुक पर लिखा कि यूक्रेन के ऊर्जा समझौते को बाधित करना चाहता है और उसके इस प्रयास से वह बेहद आक्रोशित हैं। उन्होंने कहा कि उनके देश की संप्रभुता को चुनौती देने के प्रयास के मुद्दे पर यूक्रेन के राजदूत को तलब किया गया।
सिजरतो ने कहा कि उनका देश क्या समझौता करता है और क्या नहीं इसका यूक्रेन से कोई लेना देना नहीं है और वह इसे अपने देश की संप्रभुता तथा राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लंघन मानते हैं। इसके जवाब में यूक्रेन के विदेश मंत्री ने हंगरी के राजदूत को मंगलवार को तलब किया और उक्त करार पर कीव की स्थिति से अवगत कराया।
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