• 18 November, 2024
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शीर्ष अमेरिकी जनरलों ने अफगानिस्तान में 2,500 सैनिक रखने की सिफारिश की थी, व्हाइट हाउस ने वापसी को उचित ठहराया


बुध, 29 सितम्बर 2021   |   2 मिनट में पढ़ें

वाशिंगटन, 29 सितंबर (भाषा) : शीर्ष अमेरिकी जनरलों ने सांसदों को मंगलवार को बताया कि उन्होंने अफगानिस्तान में 2,500 सैनिकों को मौजूद रखे जाने की सिफारिश की थी, लेकिन देश के राष्ट्रपति जो बाइडन सहमत नहीं हुए।

व्हाइट हाउस ने बाइडन के इस फैसले का बचाव किया और स्वीकार किया कि इस मामले को लेकर बाइडन के सलाहकारों एवं जनरलों के बीच दोराय थीं।

अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन, यूएस ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले और यूएस सेंट्रल कमान के कमांडर जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों को बताया कि पेंटागन ने अफगानिस्तान से बलों की वापसी के बाद भी वहां 2,500 अमेरिकी सैनिकों को रखने की आवश्यकता के बारे में बाइडन से सिफारिश की थी।

मैकेंजी ने सीनेटरों से कहा, ‘‘ मैं आपको अपनी राय ईमानदारी से दूंगा और मेरी राय एवं विचार ने ही मेरी सिफारिश को आकार दिया। मैंने सिफारिश की थी कि हम अफगानिस्तान में 2,500 सैनिकों को मौजूद रखें और मैंने 2020 में भी सिफारिश की थी कि हम उस समय 4,500 सैनिकों को मौजूद रखें। ये मेरे निजी विचार थे।’’

मिले ने सांसदों से कहा कि वह भी अफगानिस्तान में 2,500 सैनिकों को तैनात रखने की सिफारिश से सहमत थे।

सीनेटरों ने अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी के तरीके को लेकर पेंटागन के शीर्ष नेतृत्व से जब सवाल किए, तो ऑस्टिन ने कहा, ‘‘उनकी (अमेरिकी जनरलों की) बात पर राष्ट्रपति ने गौर किया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं संतुष्ट हूं कि हमने नीति की पूर्ण समीक्षा की थी और मेरा मानना है कि सभी पक्षों को अपने विचार रखने का अवसर दिया गया था।’’

व्हाइट हाउस ने इस संबंध में राष्ट्रपति के फैसले का बचाव किया था।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ इस मामले में कई तरह के दृष्टिकोण थे, जैसा कि आज हमें उनकी गवाही से पता भी चला। ये विचार राष्ट्रपति और उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के समक्ष रखे गए थे। राष्ट्रपति ने ही उनसे अपने विचार स्पष्ट रूप से रखने को कहा था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ यह भी स्पष्ट था कि यह सिफारिश दीर्घकाल के लिए नहीं थी और बलों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता पड़ती। इसका यह भी अर्थ होता कि तालिबान के साथ युद्ध होता और इससे बड़ी संख्या में लोग हताहत होते। राष्ट्रपति ऐसा फैसला नहीं करना चाहते थे।’’

प्रेस सचिव ने कहा, ‘‘ उन्हें नहीं लगा कि यह अमेरिकी लोगों या हमारे बलों के हित में होता।’’

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