बीजिंग, एक दिसम्बर (एपी) : चीन ने मंदारिन को बढ़ावा देने के लिए आक्रामक अभियान शुरू किया है और उसका कहना है कि 2025 तक उसके 85 फीसदी नागरिक राष्ट्रीय भाषा का उपयोग करने लगेंगे।
इस पहल से चीन की क्षेत्रीय बोलियों जैसे कैंटोनीज और होक्कीन पर खतरा मंडराने लगा है और तिब्बती, मंगोलियन एवं उइगर जैसी अल्पसंख्यक भाषाओं पर भी दबाव बढ़ने लगा है।
चीन की कैबिनेट, स्टेट काउंसिल द्वारा मंगलवार को जारी आदेश में कहा गया कि मंदारिन का प्रयोग ‘‘असंतुलित एवं अपर्याप्त’’ है और आधुनिक अर्थव्यवस्था की मांग को पूरा करने के लिए इसमें सुधार की जरूरत है।
आलोचकों ने शिक्षा व्यवस्था एवं रोजगार की जरूरतों में बदलाव का विरोध किया है जिसके कारण अल्पसंख्यक भाषाओं का क्षरण होता जा रहा है। उन्होंने इसे संस्कृति को नष्ट करने का अभियान बताया है।
2025 के लक्ष्य के साथ ही मंदारिन को 2035 तक वैश्विक भाषा बनाने का लक्ष्य तय किया गया है।
मंदारिन को बढ़ावा देने का विरोध शुरू हो गया है और इनर मंगोलिया क्षेत्र में मंगोलियाई भाषा के स्थान पर मंदारिन भाषा को निर्देश की भाषा बनाए जाने का पिछले वर्ष विरोध हुआ था।
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