दिल्ली, पीआइबी : केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यलय राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्रालय राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि 2047 में भारत कल्पना से परे विकसित हुआ होगा। न केवल चीजें तेजी से आगे बढ़ रही हैं, बल्कि इस अभियान के आगे बढ़ाने की गति पहले से कहीं ज्यादा तेज है। इसलिए आज से 25 वर्ष बाद के भारत के सटीक आकार की कल्पना करना बहुत मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा, “लेकिन एक बात निश्चित है कि जब स्वतंत्र भारत 100 वर्ष का होगा, तो यह दुनिया का तकनीकी और आर्थिक महाशक्ति होगा।”
प्रशासनिक सुधार विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा आयोजित शासन के नजरिए से विजन इंडिया @2047 पर विचार-विमर्श करने के लिए विभिन्न विशेषज्ञों की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, “पिछले 7 वर्षों के दौरान कई पहल, नीतियां, योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए गए हैं जिनसे एक नए युग का उदय हुआ है और जिसे नए भारत की सुबह और आत्मनिर्भर भारत के उद्भव के रूप में वर्णित किया गया है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, जब हम शासन के लिए विजन तैयार करते हैं, तो नागरिकों और सरकार को करीब लाने के लिए, डिजिटल संस्थानों का निर्माण करना होगा। उन्होंने कहा, 21वीं सदी की प्रबंधन प्रथाओं को अपनाना सरकारों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है और इसी उद्देश्य से प्रधानमंत्री मोदी ने महत्वाकांक्षी विजन इंडिया@2047 पहल की शुरुआत की है।
15 अगस्त, 2021 को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी के उद्बोधन का जिक्र करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की ‘कैन डू’ पीढ़ी हर संभव लक्ष्य को हासिल कर सकती है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के हवाले से कहा, “मेरा मानना है कि 2047 में आजादी के 100 साल पूरे होने के मौके पर…आज से 25 साल बाद जो भी प्रधानमंत्री बनेगा, वह जब झंडा फहराएगा…मैं आज विश्वास के साथ यह कहता हूं कि वह अपने भाषण में उन उपलब्धियों का वर्णन कर रहे होंगे जिनको पूरा करने का प्रण आज देश ले रहा है… मुझे जीत का दृढ़ विश्वास है”।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने विशिष्ट डिजिटल पहचान, सामान्य सेवा केंद्रों तक पहुंच प्रदान करके प्रत्येक नागरिक के लिए एक प्रमुख उपयोगिता के रूप में डिजिटल बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करने का प्रयास किया है और विभागों/ मंत्रालयों में सेवाओं के निर्बाध एकीकरण द्वारा हजारों सेवाएं प्रदान की हैं। दिसंबर 2019 में ‘सेवा वितरण में सुधार’ पर नागपुर में डीएआरपीजी के क्षेत्रीय सम्मेलन को याद करते हुए उन्होंने कहा, दोनों राज्य/ केंद्र सरकारों ने नागरिकों के डिजिटल सशक्तिकरण द्वारा वास्तविक समय में सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का प्रयास किया है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, “जिस अभूतपूर्व पैमाने पर कई कार्यक्रम लागू किए गए हैं जैसे कि ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’, ई-ऑफिस, सीपीजीआरएएमएस, पासपोर्ट सेवा केंद्र और ई-हॉस्पिटल सरकार की ‘बिल्डिंग टू स्केल बिल्डिंग टू लास्ट’ दृष्टिकोण अपनाने की सरकार की इच्छा को दर्शाता है। इन सुधारों की जड़ें बहुत गहरी और ये लंबे समय तक चलने वाली हैं।”
वी. श्रीनिवास, सचिव, डीएआरपीजी ने बताया कि 2021 में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने प्रशासनिक सुधारों को गहरा करने के उद्देश्य से 3 महत्वपूर्ण अभियानों को लागू करने में पूरे सरकारी दृष्टिकोण को अपनाने का प्रयास किया है। निर्णय लेने में दक्षता बढ़ाने की पहल में सबमिशन के चैनलों को कम करने, वित्तीय प्रतिनिधिमंडल, ई-ऑफिस संस्करण 7.0 का संचालन, केंद्रीय पंजीकरण इकाइयों का डिजिटलीकरण और सभी मंत्रालयों/विभागों में डेस्क अधिकारी प्रणाली के संचालन की परिकल्पना की गई है।
इंडिया विजन@47 के लिए अपने विचार प्रस्तुत करने वाले कुछ प्रख्यात विशेषज्ञों में प्रभात कुमार, पूर्व कैबिनेट सचिव, संजत कोठारी, पूर्व सीवीसी, डॉ के राधाकृष्णन पूर्व इसरो अध्यक्ष, प्रो इरोल डी’ओजा, प्रो हिमांशु रॉय, प्रो अभय करंदीकर, प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी, डॉ आर बालसुब्रमण्यम, प्रोफेसर निर्मला बागची, डॉ सी. चनरमौली, डॉ महादेव जायसवाल और एस.एन. त्रिपाठी शामिल थे।
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