नयी दिल्ली, 31 अगस्त (भाषा) भारतीय नौसेना ने मंगलवार को रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (बीईएल) के साथ स्वदेश में ही विकसित नौसेना ड्रोन रोधी प्रणाली (एनएडीएस) की आपूर्ति के लिए करार किया। रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
मंत्रालय ने बताया कि एनएडीएस का विकास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने किया है और इसका उत्पादन बीईएल कर रही है। यह देश में ही विकसित पहली ड्रोन रोधी प्रणाली है जिसे भारतीय सशस्त्र सेनाओं में शामिल किया जाना है।
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, ‘‘भारतीय नौसेना ने नवरत्न में शामिल रक्षा क्षेत्र के सार्वजिक उपक्रम बीईएल से पहली व्यापक नौसेना ड्रोन रोधी प्रणाली की आपूर्ति के लिए करार किया है जो दुश्मन के हमलों को रोकने और उसके इरादों को निष्क्रिय करने में सक्षम है।’’
बयान में कहा गया कि एनएडीएस प्रणाली तत्काल छोटे आकार के ड्रोन का पता लगा सकती है और लेजर आधारित ‘हथियार’ से लक्ष्य को नष्ट कर सकती है।
गौरतलब है कि इस साल जून में जम्मू स्थित वायुसेना के ठिकाने पर पाकिस्तान से संचालित आतंकवादियों ने दो ड्रोन से पहली बार हमला किया था, जिससे ड्रोन से गंभीर खतरा सामने आया था।
मंत्रालय ने बताया कि एनएडीएस को सबसे पहले इस साल गणतंत्र दिवस परेड के दौरान सुरक्षा के लिए तैनात किया था और उसके बाद स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान इस प्रणाली की तैनाती की गई। उसने कहा, ‘‘ 360 डिग्री सुरक्षा मुहैया कराने वाली इस प्रणाली की तैनाती मोदी-ट्रंप के अहमदाबाद में हुए रोड़ शो के दौरान भी की गई थी।’’
मंत्रालय ने बताया कि एनएडीएस छोटे ड्रोन का पता लगाने और उन्हें जाम करने के लिए रडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल/इंफ्रा सेंसर और रेडियो फ्रीक्वेंसी डिटेक्टर का इस्तेमाल करती है।
मंत्रालय ने बताया कि करार के बाद बहुत कम समय में भारतीय नौसेना को एनएडीएस के स्थायी और सचल संस्करण की आपूर्ति कर दी जाएगी।
भाषा धीरज माधव
माधव
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