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पाकिस्तानी राजदूत की स्वीकृति की पुष्टि में बाधा डालने के आरोप को भारत ने निरर्थक बताया


शुक्र, 04 फरवरी 2022   |   2 मिनट में पढ़ें

नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा): भारत ने बृहस्पतिवार को इस आरोप को बेबुनियाद करार दिया कि वह अमेरिका में नामित किये गये पाकिस्तान के राजदूत मसूद खान की स्वीकृति की पुष्टि में बाधा डालने की कोशिश कर रहा है।

विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘एक देश से दूसरे देश में राजदूत की नियुक्ति में देरी के लिए किसी तीसरे देश को दोष देना बेतुका है।’’

बागची का यह बयान, पाकिस्तान के इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर आया है कि भारत ने अमेरिका द्वारा खान की पुष्टि को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

पिछले साल अगस्त तक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के ‘‘राष्ट्रपति’’ के रूप में कार्य करने वाले खान को नवंबर में अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के रूप में नामित किया गया था। हालांकि, अमेरिका की बाइडन प्रशासन से इसकी पुष्टि का इंतजार है।

अमेरिकी संसद के एक सदस्य ने राष्ट्रपति जो बाइडन से पाकिस्तान के नामांकन को खारिज करने का आग्रह किया है और खान को ‘आतंकवादियों से सहानुभूति रखने वाला’’ करार देते हुये क्षेत्र में अमेरिका के हितों को कमजोर करने के लिए काम करने वाला बताया है ।

तीर्थयात्रियों को हवाई मार्ग से भारत की यात्रा करने की अनुमति देने के पाकिस्तान हिंदू परिषद के एक नए प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा कि धार्मिक स्थलों की यात्रा पर 1974 के भारत-पाकिस्तान प्रोटोकॉल के ढांचे के तहत चर्चा की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘धार्मिक स्थलों पर तीर्थयात्रियों की यात्रा भारत और पाकिस्तान के बीच 1974 के द्विपक्षीय प्रोटोकॉल द्वारा नियंत्रित होती है और इस तरह की यात्राओं को नियमित रूप से सुगम बनाया जाता है। 2021 में, प्रोटोकॉल के तहत 3,500 तीर्थयात्रियों की यात्रा की सुविधा प्रदान की गई थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस तरह के तीर्थस्थलों और यात्रा के तरीके की सहमत सूची का विस्तार करने के लिए दोनों पक्षों के हितों पर ध्यान दिया है। प्रोटोकॉल के तहत इस पर परस्पर सहमति की आवश्यकता होगी।’’

बागची ने कहा कि भारत ने इस मामले में पाकिस्तान की सिफारिश पर आधिकारिक प्रतिक्रिया भेजी है।

उन्होंने कहा कि कोविड ​​-19 महामारी के मद्देनजर आंदोलन और सभाओं पर मौजूदा प्रतिबंधों को देखते हुए, दोनों पक्ष द्विपक्षीय प्रोटोकॉल के तहत चर्चा करने के लिए समय का उपयोग कर सकते हैं।

यह पता चला है कि पाकिस्तान हिंदू परिषद द्वारा प्रस्ताव भारत में पाकिस्तान उच्चायोग द्वारा विदेश मंत्रालय को भेजा गया था।

एक पाकिस्तानी अरबपति की इस कथित टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कि भारत-पाकिस्तान के बीच पर्दे के पीछे संपर्क अब भी जारी है, बागची ने इसे निजी व्यक्ति की टिप्पणी करार देते हुये इस पर उत्तर देने से देने से इनकार कर दिया।

दक्षेस शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए पाकिस्तान की तैयारी पर, बागची ने कहा कि इस मामले में भारत के लिए अपना रूख बदलने का कोई कारण नहीं है ।

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) एक क्षेत्रीय ब्लॉक है जिसमें भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं।

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