नयी दिल्ली, नौ अगस्त (भाषा) पर्यावरण विशेषज्ञों ने सोमवार को चेताया कि जलवायु संकट का प्रभाव दुनियाभर में देखा जा सकता है और अभी भी कार्रवाई नहीं की गई तो जीवन, आजीविका एवं प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाएंगे। उन्होंने इसके साथ ही दोहराया कि जलवायु परिवर्तन जारी है और कोई भी सुरक्षित नहीं है।
जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी समिति (आईपीसीसी) की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट (एआर6) ‘क्लाइमेट चेंज 2021: द फिजिकल साइंस बेसिस’ के जारी होने के बाद विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया सामने आई है।
आईपीसीसी की नयी रिपोर्ट में सोमवार को कहा गया कि समुद्र के स्तर की चरम घटनाएं जो पहले 100 वर्षों में एक बार होती थीं, इस सदी के अंत तक हर साल हो सकती हैं।
रिपोर्ट जारी करने को लेकर आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा, ”जलवायु परिवर्तन जारी है और कोई भी सुरक्षित नहीं है। पिछले कई वर्षों से दी जा रही चेतावनी के बावजूद दुनिया ने इसे नहीं सुना। हमें अब कार्रवाई करने की जरूरत है। ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने से न केवल जलवायु परिवर्तन सीमित होगा, बल्कि वायु प्रदूषण भी घटेगा।”
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) में शामिल 191 में से केवल 110 देशों ने अगले जलवायु सम्मेलन (सीओपी26) से पहले राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) संबंधी नए या अद्यतन आंकड़े प्रस्तुत किए हैं।
एंडरसन ने कहा, ”सरकारों को बिलकुल शून्य योजना को अपने पेरिस समझौते का अभिन्न हिस्सा बनाने की जरूरत है। उन्हें पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लिए विकासशील देशों को वादे के नुसार वित्त और अन्य सहायता देनी चाहिए। हर कारोबारी, नागरिक और निवेशक को अपनी भूमिका निभानी चाहिए।”
उन्होंने कहा, ”हम अतीत की गलतियों में बदलाव नहीं कर सकते लेकिन इस दौर के राजनीतिक एवं कारोबारी नेता और जागरूक नागरिक चीजों को ठीक कर सकते हैं।”
आगामी ”सीओपी26” के नामित अध्यक्ष आलोक शर्मा ने कहा, ” रिपोर्ट दर्शाती है कि जलवायु परिवर्तन की लाल बत्ती जल रही है। हमें सीओपी26 में एक साथ आना होगा और वर्ष 2050 तक शून्य उत्सर्जन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को लेकर सहमत होना होगा।”
शर्मा ने कहा, ”विज्ञान से यह स्पष्ट है कि जलवायु संकट का प्रभाव पूरी दुनिया में देखा जा सकता है और अगर हमने अभी कार्रवाई शुरू नहीं की तो हम लगातार जीवन, आजीविका और प्राकृतिक वास पर इसके दुष्प्रभाव देखते रहेंगे।”
भाषा शफीक नेत्रपाल
नेत्रपाल
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