मेजर गौरवआर्या (सेवानिवृत्त)
मुख्य संपादक
ज्यादातर बड़ी कंपनियां एक छोटे से कमरे में शुरू होती हैं। कम से कम उन कंपनियों के मालिक तो हमें यही यकीन दिलाने की कोशिश करते हैं। मैं दो कारणों से ऐसा नहीं कह पा रहा हूं। चाणक्य फोरम अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है और मेरे पास ऐसा कोई छोटा कमरा नहीं है।
आज, जब मैं चाणक्य फोरम के प्रधान संपादक के रूप में पदभार ग्रहण कर रहा हूं। मैं चाणक्य फोरम टीम को धन्यवाद देना चाहता हूं। हर सदस्य असाधारण रूप से मेहनती और सक्षम है। मैं अपने पाठकों को धन्यवाद देना चाहता हूं जो हर कदम पर मददगार रहे हैं। आपके बिना कोई चाणक्य फोरम नहीं है और न ही बात करने के लिए कोई विषय है।
हम बड़े सपनों वाली एक छोटी टीम हैं। कुछ महीने पहले, यह लगभग अकल्पनीय था लेकिन आज हम अच्छी प्रतिस्पर्धा में हैं और आम भारतीय के समक्ष विदेशी मामले, भूगोलीय राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के विषयों को ला रहे हैं। हम उन चुनिंदा प्रकाशनों में से हैं जिसके लिए कोई बड़े पत्रकार लेख नहीं लिख रहे हैं। हमारे सभी लेख विषय विशेषज्ञों, जबरदस्त सार्वजनिक विश्वसनीयता और दशकों का सटीक अनुभव रखने वालों ने लिखें हैं। भारत, इजरायल, अमेरिका और ब्रिटेन के राजनयिकों, जनरलों, शिक्षाविदों, विश्लेषकों और पीएचडी विद्वानों ने हमारी पत्रिका के लिए लेख लिखकर हमें सम्मानित किया है। आप हमारे प्रिय पाठकों ने उन लेखों को पढ़कर और जगह-जगह पर अपने कथनों में उनका हवाला देकर हमें सम्मानित किया है।
आज हम आधिकारिक तौर पर दक्षिण एशिया की प्रमुख समाचार एजेंसी एएनआई न्यूज के साथ अपने रिश्ते की शुरुआत कर रहे हैं। मानो अचानक संभावनाओं का समंदर मिल गया हो। हमें विश्वास है कि यह रिश्ता हमें मजबूती की ओर ले जाएगा। यह एक दिलचस्प भविष्य का संकेत है।
हमें उम्मीद है कि हम जल्द ही हम अपना हिंदी संस्करण शुरू करेंगे। एक दिन आप चाणक्य फोरम को बांग्ला, मलयालम, तमिल और मराठी भाषाओं में भी पढ़ेंगे। हमें नहीं पता भविष्य के गर्भ में क्या है? जैसा कि मैंने कहा, हम बड़े सपने वाली एक छोटी टीम हैं। मेरे दोस्त मनोज मुंतशिर ने एक बार ये पंक्तियाँ लिखी थीं जो मेरे सबसे बुरे दिनों में हमेशा आशा की किरण रही हैं।
जूते फटे पहनकर आकाश पर चढ़े थे,
सपने हमारे हरदम औकात से बड़े थे।
मैंने पहले भी कहा कि, चाणक्य फोरम में हमारे सपने हमारी बेइंतहा ख्वाहिशों से भी ऊपर हैं।
इस अद्भुत यात्रा का हिस्सा बनने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं और प्रार्थना करता हूं कि यह यात्रा लंबी और फलदायी हो। संभवत: एक दिन मैं अपने गैर-मौजूद उस छोटे से कमरे के बारे में बात कर पाऊंगा।
मेजर गौरव आर्या (सेवानिवृत्त)
मुख्य संपादक
चाणक्य फोरम