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अफगानिस्तान का संपर्क दुनिया से काटने को लेकर ब्रिटेन की तालिबान को चेतावनी


गुरु, 26 अगस्त 2021   |   < 1 मिनट में पढ़ें

लंदन, 25 अगस्त (भाषा) ब्रिटेन ने अफगानिस्तान का संपर्क शेष दुनिया से काटने के प्रयासों के खिलाफ तालिबान को चेतावनी दी और उससे अपनी सीमाएं खुली रखने का अनुरोध किया।

विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने कहा कि 31 अगस्त को काबुल हवाई अड्डे से पश्चिमी सेनाओं की वापसी के बाद तालिबान द्वारा देश को बंद करने के प्रयासों से एक “शरणार्थी संकट” पैदा हो सकता है क्योंकि लोग पड़ोसी देशों में जाने की कोशिश करेंगे।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की सीमा “विषम और व्यापक” है तथा देश को बाकी दुनिया से अलग-थलग करने की कोशिश नाकाम हो जाएगी।

उन्होंने ‘टाइम्स रेडियो’ को बताया, “अगर तालिबान नेतृत्व जैसा वह कहते हैं कि रातोंरात प्रतिभा पलायन रोकना चाहते हैं तो सीमाओं को बंद कर वह ऐसा नहीं कर पाएंगे।”

उन्होंने कहा, “आप देखेंगे कि बड़ी संख्या में शरणार्थी बाहर जा रहे हैं और उन्हें प्रक्रिया में लेना भी पड़ेगा। वे महज कुछ सड़कें बंद कर शरणार्थी संकट से बच नहीं पाएंगे, वे अफगानिस्तान की सीमा को भली-भांति बंद नहीं कर पाएंगे, जो विषम और व्यापक है।”

उन्होंने बुधवार को एक के बाद एक दिए गए साक्षात्कार में मीडिया में आई उन खबरों को भी खारिज किया जिनमें कहा गया था कि इस महीने जब अफगानिस्तान संकट चरम पर था तब वे समुद्र किनारे छुट्टियां मना रहे थे।

भाषा

प्रशांत नरेश

नरेश




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POST COMMENTS (1)

Indresh Mishra

अगस्त 27, 2021
तालिबान को वैश्विक चेतावनी और सख्त लहजे का फिलहाल तो कोई अंदाजा नही है,विशेष रूप से जब तक वे सत्तासीन होकर देश की चरमरायी हुई अर्थव्यवस्था का अंदाज़ा नही लगा पाते.! फिलहाल तो वे इसी खुशी में मदहोश और बेपरवाह हैं कि इतनी आसानी से काबुल पर आरूढ़ हुये.! तमाम परेशानियों के बावजूद यदि वे सत्तारूढ़ होते हैं और विभिन्न सेवारत लोगों की सेवाओं का भुगतान से लेकर लोगों की छिनी हुयी रोजी रोटी की छटपटाहट को कैसे निपटाते हैं यह लगभग आने वाले चालीस से पैंतालीस दिन तय करेंगे.! अब तक उन्हे केवल काबुल पर काबिज होने का मतलब सत्तासुख और ऐश- ओ- आराम ही था.! साथ ही केवल काबिज होने का अर्थ उनके लिये सिर्फ सबकुछ पाना या हासिल करना था.! लेकिन जैसे ही दिन और महीने गुजरेंगे उन्हे यह एहसास होगा कि काबिज होने का मतलब सिर्फ सत्तासुख,सबकुछ पाना ऐश आराम से आगे बढकर जिम्मेदारी,और उससे भी बढकर लोगों की भूख और रोजगार के साथ देश के बाहर भी एक दुनिया है.! अनेक जरूरतों को सामने क्रमशः आते देख उन्हे देश दुनिया और दबाव या नसीहतों की भाषा का ज्ञान होगा.!!

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