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सीमा पर बाड़ लगाने का काम समाप्ति की ओर, मेघालय के गांव के अलग-थलग पडने का खतरा


मंगल, 11 जनवरी 2022   |   2 मिनट में पढ़ें

लेंगखोंग (मेघालय), 11 जनवरी (भाषा) : भारत-बांग्लादेश सीमा पर जीरो लाइन के पास स्थित लेंगखोंग गांव के करीब 90 निवासी देश के अन्य हिस्सों से कट जाने के जोखिम के साथ जी रहे हैं जहां भारत की सीमा के भीतर 150 गज की दूरी तक, सीमा पर बाड़ लगाने का कार्य पूरा होने वाला है। गांव के बड़े-बुजुर्गों ने रविवार को अपने इस डर को साझा किया।

पूर्वी खासी पर्वतीय जिले में लेंगखोंग गांव के पास, एकल पंक्ति की बाड़ की नींव रख दी गई है लेकिन निवासियों के विरोध के चलते इस कार्य को रोक दिया गया है। हालांकि, अधिकारी अब तक इस बात पर सहमत नहीं हुए हैं कि बाड़ नहीं लगाई जाएगी या इसे जीरो लाइन पर ही लगाया जाएगा।

लेंगखोंग की एक बुजुर्ग महिला और यहां के भू स्वामियों में से एक बार्निंग खोंग्सडीर ने पीटीआई-भाषा से कहा, “यह ठीक नहीं है कि बाड़ लगने के बाद हमारा गांव भारत के क्षेत्र से बाहर हो जाएगा। हम सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। हम यहां जमाने से रह रहे हैं…सरकार को हमारी सुरक्षा और कुशलता के लिए कुछ करना चाहिए।’’

असुरक्षित महसूस करने के बार्निंग के पास कारण हैं। उनका घर जीरो लाइन और उन्हें और बांग्लादेश में रहने वालों को अलग करने वाले सीमा स्तंभ से बमुश्किल कुछ फुट की दूरी पर है। हालांकि, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का एक शिविर लेंगखोंग में स्थित है। बार्निंग ने कहा कि ‘राष्ट्र विरोधी तत्व’ आवागमन के लिए आसान सी इस सीमा का फायदा उठाते हैं । उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से सभी चाहते हैं कि बाड़ जल्द से जल्द लग जाए, लेकिन जीरो-लाइन पर लगे।

उन्होंने कहा कि अस्थायी रूप से, गांव ने महामारी के मद्देनजर पिछले साल से खुद को बांग्लादेश से अलग करने के लिए बांस और छोटी टहनियों से बनी बाड़ लगाई है।

गौरतलब है कि मेघालय में भारत-बांग्लादेश सीमा पर करीब 80 फीसदी हिस्से में बाड़ लगाई जा चुकी है। कुछ हिस्सा बाकी है जहां पर या तो निवासियों के विरोध के कारण या बांग्लादेश के बॉर्डर गॉर्ड्स के विरोध के कारण या फिर भौगोलिक स्थिति की वजह से बाड़ नहीं लगाई जा सकी है।

बीएसएफ मेघालय फ्रंटियर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया ‘‘समझौते के अनुसार, जीरो लाइन से कम से कम 150 गज की दूरी पर बाड़ लगाई जाती है लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता। बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड कुछ मामलों में जीरो लाइन के पास ही बाड़ लगाने के लिए सहमत हो जाते हैं। यह उस इलाके की आबादी पर निर्भर करता है जैसे कि लेंगखोंग है।’’

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