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भारत और अमेरिका को वैश्विक स्वास्थ्य संरचना में सुधार के लिए काम करने की जरूरत : मांडविया


बुध, 29 सितम्बर 2021   |   3 मिनट में पढ़ें

नयी दिल्ली, 28 सितंबर (भाषा) : केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को कहा कि भारत और अमेरिका दोनों वैश्विक साझेदार हैं और दोनों को वैश्विक स्वास्थ्य संरचना में सुधार के लिए सहयोगात्मक रूप से काम करने की जरूरत है, जिनकी कमजोरियां मौजूदा महामारी के दौरान स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं।

भारत द्वारा आयोजित की जा रही चौथी भारत-अमेरिका स्वास्थ्य वार्ता के समापन सत्र को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कुछ समान रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं जहां भारत और अमेरिका दोनों काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इनमें स्वास्थ्य आपात स्थिति का प्रबंधन, डिजिटल स्वास्थ्य और नवाचार का समर्थन, मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप, चिकित्सीय और टीके से संबंधित अपने कम लागत वाले अनुसंधान नेटवर्क की भारत को पेशकश और विशाल उत्पादन क्षमता शामिल है।

मंत्री ने कहा, “इसका न केवल अमेरिका-भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए दवाओं की पहुंच और सामर्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।”

मांडविया ने कहा, “भारत और अमेरिका दोनों वैश्विक भागीदार हैं और हमें वैश्विक स्वास्थ्य संरचना में सुधार के लिए भी सहयोगात्मक रूप से काम करने की आवश्यकता है, जिसकी कमजोरियां वर्तमान महामारी के दौरान स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं।”

उन्होंने कहा कि भारतीय जेनेरिक दवाओं ने विश्व स्तर पर विभिन्न बीमारियों के इलाज की लागत को कम करने में मदद की है।

मांडविया ने कहा, “भारत विकासशील दुनिया को लगभग सभी उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करता है। हम टीबी रोधी दवाओं के सबसे बड़े निर्माता भी हैं। इस क्षमता का लाभ उठाते हुए, हम दुनिया भर में मरीजों के लिए सस्ती उच्च गुणवत्ता वाली दवा की आपूर्ति कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “मैं दोनों देशों के नियामकों के बीच बढ़ते सहयोग पर भी संतोष व्यक्त करता हूं और वैश्विक मंचों पर भी इस मुद्दे पर आगे ठोस परिणाम और संयुक्त रूप से काम करने की आशा करता हूं।”

मंत्री ने कहा कि भारत विभिन्न मोर्चों पर अमेरिका के साथ अपने जुड़ाव को महत्व देता है और अमेरिका सबसे पुराना आधुनिक लोकतांत्रिक देश होने के नाते और भारत आधुनिक दुनिया में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के नाते, दोनों देशों के बीच रचनात्मक और सकारात्मक सहयोग से शांति, सद्भाव, और समृद्धि की दिशा में बढ़ा जा सकता है और न केवल दोनो देशों के लिए है बल्कि व्यापक रूप से पूरे विश्व के लिए।

उन्होंने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री की हाल में समाप्त हुई अमेरिका की यात्रा, विचार-विमर्श, व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी और विशेष रूप से विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पारस्परिक हित के क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए, अमेरिका के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध को मजबूत करने की दिशा में एक और मील का पत्थर साबित हुई है।”

मांडविया ने कहा “इस यात्रा के परिणाम से स्वास्थ्य क्षेत्र में चल रहे हमारे सहयोग को भी लाभ होगा” और भारत तथा अमेरिका, हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों के साथ भी कोविड सहायता, टीके का विकास, आपूर्ति शृंखला प्रबंधन और अर्थव्यवस्थाओं का पुनरुद्धार जैसे मुद्दों पर सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा “ दो दिवसीय संवाद दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में चल रहे कई सहयोगों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच के रूप में लाभान्वित हुआ। दो दिवसीय संवाद के दौरान महामारी विज्ञान अनुसंधान और निगरानी, ​​टीका विकास, स्वास्थ्य, जूनोटिक और वेक्टर जनित रोगों, स्वास्थ्य प्रणालियों और स्वास्थ्य नीतियों आदि को मजबूत करने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई।”

उसमें बताया गया है कि समापन सत्र में आज दो समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए गए। स्वास्थ्य और जैव चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग के संबंध में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और अमेरिका के स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। अनुसंधान के लिए अंतरराष्ट्रीय केंद्र (आईसीईआर) को लेकर सहयोग के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (एनआईएआईडी) के बीच एक और समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

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