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Geopolitics & National Security
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त्रिकोणीय शीत युद्ध

टीपी श्रीनिवासन
शनि, 31 जुलाई 2021   |   4 मिनट में पढ़ें

राष्ट्रपति बिडेन की पहली यूरोप यात्रा का उद्देश्य प्रजातांत्रिक यूरोपीय देशों की अगुवाई पर पकड़ हासिल करना था ! इन्होंने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि जी 7 और नाटो की नई-नई एकता ने ना तो रूस के राष्ट्रपति पुतिन को बुलाया था और ना ही उनसे दूरी बनाई थी, जबकि पुतिन ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह प्यार या दोस्ती को नहीं खोज रहे हैं बल्कि वह केवल व्यापारिक संबंध चाहते हैं ! उन्होंने अमेरिका द्वारा साइबर हमले ,मानव अधिकार हननऔर अमेरिका के चुनावों में दखल के सब आरोपों को नकार दिया था ! राष्ट्रपति ट्रंप के समय में चीन से दूरी बनाने के प्रयास में उनके सहयोग के बारे में विवाद के कारण आशाएं कम थी परंतु बिडेन संबंधों को दोबारा सामान्य बनाना चाह रहे थे ! वे इसके लिए पुतिन से सहयोग करके नहीं ! इस पृष्ठभूमि में बिडेन की 4 घंटे की मीटिंग बिना किसी तनाव या सख्त कार्यवाही के संपन्न हुई हो गई जिसे उन्होंने अपनी उपलब्धि बताया !

यह एक आश्चर्य है कि उपरोक्त बैठक के तुरंत बाद फ्रांस तथा जर्मनी की शिखर सम्मेलन की मांग पर कर- मिलन ने घोषणा की कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन रूस और यूरोपियन गठबंधन के साथ दोबारा अपने संबंध स्थापित करना चाह रहे हैं ! करमिलन के प्रवक्ता ने उपरोक्त विचार को एक सकारात्मक कदम बताते हुए कहा कि राष्ट्रपति पुतिन स्वयं ऐसा प्रबंध चाहते हैं जिससे ब्रुसेल्स तथा मास्को के बीच सीधी बातचीत हो ! उसने और कहा कि बर्लिन तथा पेरिस की यह घोषणा की यूरोपीय गठबंधन को रूस के विषय में एक हो जाना चाहिए ! यह शिखर सम्मेलन की भावना से मेल नहीं खाता क्योंकि इसके एक धड़े के मास्को के साथ बहुत से विषयों पर मतभेद हैं ! इनमें आपसी भलाई के विषय जैसे मौसम बदलना, स्वास्थ्य, 2015 में ईरान के साथ परमाणु करार तथा लीबिया में आपसी विवाद पर सहमति ना होना !

ब्रुसेल्स ने मास्को पर बहुत से प्रतिबंध लगाए जिसके जवाब में मास्को ने भी कार्रवाई की परंतु ब्रुसेल्स और पेरिस कहते हैं कि दोबारा बातचीत शुरू करने से दोबारा संबंधों को सामान्य करने में मदद मिलेगी ! इस कदम को राष्ट्रपति बिडेन का भी आशीर्वाद प्राप्त है !उन्होंने यह भी कहा की यह सब हमारे सामूहिक भलाई के लिए है ! यहां पर यह बात साफ है कि इन सब की ईरान तथा अफगानिस्तान जैसे विषयों पर एक जैसा ही रवैया है !

बिडेन के जिनेवा मिशन का एक हिस्सा था कि वह यह संदेश देना चाह रहे थे कि रूस द्वारा अमेरिका में अशांति फैलाने के प्रयासों का करारा जवाब दिया जाएगा चाहे यह साइबर हमला और या अन्य राजनीतिक दखल हो जैसा कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में देखा गया था ! दोनों तरफ तनाव और अविश्वास आपसी तकरार के बहुत से मौके प्रदान करते करते हैं परंतु जिनेवा से सिद्ध हो गया है कि तरह-तरह के कथनों के कारण संबंध रखने को भुलाया नहीं जा सकता ! इस शिखर सम्मेलन से बिडेन तथा पुतिन दोनों आशावादी होकर निकले ! इस तथ्य को ध्यान में रखना होगा की रूस ने अमेरिका के बराबर का स्थान पाकर वह पा लिया जो व पाना चाहता था ! इस मीटिंग से बिडेन की सरकार ने भी श्रेय प्राप्त किया जिसकी योजना व अप्रैल से बना रही थी ! बिडेन ने पुतिन का स्वागत किया और बदले में सम्मान पाया ! इस समय माहौल ऐसा है जिसमें दुश्मनी भी आदर के साथ निभाई जा रही है !

इसके बाद करमिलन की घोषणा आई कि वह मास्को और यूरोपियन संगठन के संबंधों को दोबारा स्थापित करने के विचार का समर्थन करेगा ! यह घोषणा तब आई जब फ्रांस और जर्मनी दोनों ने संबंध सुधारने के लिए शिखर सम्मेलन का प्रस्ताव रखा था ! रूस और इंग्लैंड दोनों एक साथ होना कोई नई बात नहीं है ! 19वीं शताब्दी के शुरू में दोनों ने नेपोलियन के विरुद्ध तथा 1553 में क्रीमिया के युद्ध में भी दुश्मन के विरुद्ध साथ-साथ थे ! यह दोनों मध्य एशिया में प्रथम तथा द्वितीय विश्व युद्ध में प्रतिद्वंदी बने ! इन दोनों के संबंधों में तनाव रूस की क्रांति के समय आया और विश्व में शीत युद्धके समय भी चलता रहा ! यूक्रेन संकट 2013 से 2018 तक चला,इसमें आपस में बातचीत के प्रस्ताव के लिए पूर्वी यूरोप के देशों लिथुआनिया इत्यादि ने यह कहकर मना कर दिया कि एक रीछ को शहद के बर्तन की रक्षा के लिए कहना बेकार सिद्ध होगा !

यकीन से कहा जा सकता है कि मास्को तथा लंदन के बीच जवानी लड़ाई तब तेज हो गई जब दोनों ने काले समुद्र में एक दूसरे पर जहाजों पर फायर करने का गलत जवाब देने का आरोप लगाया ! रूस ने कहा कि उसने इंग्लैंड के एचएमएस डिफेंडर नाम के जहाज के सामने चेतावनी के गोले तब फायर किए जब उसके जहाज क्रीमिया के किनारे से गुजर रहे थे ! और आरोप लगाया कि इंग्लैंड का युद्धक जहाज उसकी सीमा में घुस रहा था ! इंग्लैंड ने इस आरोप का विरोध किया और कहां की कोई चेतावनी गोले फायर नहीं किए गए थे ! इसके स्थान पर उसने कहा कि इस क्षेत्र में रूस की एक तोपों की फायर की एक्सरसाइज चल रही थी ! इंग्लैंड के प्रधानमंत्री ने बृहस्पतिवार को कहा है कि उनका डिफेंडर जहाज अंतरराष्ट्रीय समुद्र में नियम कानून के अनुसार चल रहा था और उसका चुना मार्ग भी बिल्कुल ठीक था ! उनके अनुसार यह ध्यान देने योग्य है कि रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया है और बताया कि इस कारण वह इस क्षेत्र को अपना बता रहा है जबकि यूक्रेन क्षेत्र वाले समुद्र और इसमें एक स्थान से दूसरे स्थान जाने का उन्हें पूरा अधिकार है !

रूस ने क्रीमिया पर 2014 में कब्जा कर लिया था इसलिए वह इसके आसपास के क्षेत्र को अपना क्षेत्र बताता है ! परंतु पश्चिमी देश अभी भी क्रीमिया को यूक्रेन का हिस्सा मानते हैं, और रूस उपरोक्त कथन को नकार- ता है ! रूस और इंग्लैंड के आरोप-प्रत्यारोप ने इन दोनों देशों के बीच में विश्वास बहाली के संभावनाओं पर पानी फिरा दिया है !

बिडेन ने जेनेवा में कहा था कि पुतिन शीत युद्ध नहीं चाहते और पुतिन ने इस कथन का खंडन नहीं किया था ! चीन और अमेरिका के बीच जो शीत युद्ध की तैयारियां चल रही है, इस शीत युद्ध में तीन अलग-अलग प्रतिद्वंदी होंगे ! जिसमें रूस चीन का सहायक होगा और अमेरिका को टक्कर देने के लिए यह दोनों परोक्ष रूप से एक दूसरे की सहायता करेंगे !


लेखक
टीपी श्रीनिवासन भारत के पूर्व राजदूत और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं। वह वर्तमान में केरल अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के महानिदेशक हैं। उन्हें बहुपक्षीय कूटनीति में लगभग 20 वर्षों का अनुभव है और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, राष्ट्रमंडल और एनएएम की ओर से आयोजित कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने कई संयुक्त राष्ट्र समितियों और सम्मेलनों की अध्यक्षता की है।

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POST COMMENTS (1)

keshav sinha

अगस्त 26, 2021
waise ye baat satya hai ki log dushmani bade aadar ke sath nibha rahe hai lekin sabhi desho ko ek dusre ki mansha pahle se malum hai.

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